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शादी से पहले इन 8 बातों को ज़रूर कर लें क्लीयर!

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फोन पर बातें, कॉफी टॉक और व्हॉट्सऐप पर चैट, शादी से पहले जितना हो सके बातें करे। जी हां, शादी चाहे लव मैरिज हो या अरेंज्ड मैरिज, किसी से शादी करने से पहले जितना हो सके उतना अपने होनेवाले पार्टनर से बात करें। हो सकता है आप अपने होनेवाले पार्टनर को बहुत दिनों से डेट करते आ रहे हों लेकिन शादी करना और ज़िंदगी आगे बढ़ाना बिल्कुल अलग बात है। इसलिए अपनी ज़िंदगी और करियर के बारे में बात करने से न चूकें। ये रही वो बातें जो किसी से शादी करने से पहले सभी कपल्स को डिस्कस करनी चाहिए।   माता-पिता- शादियों में अपने सास-ससुर के प्रति आदर और सम्मान को लेकर ढेर सारी ग़लतफहमियां हो सकती हैं। आपको यह बताना होगा कि शादी के कितने समय बाद आप अपने माता-पिता के घर से बाहर निकलेंगे या आप पूरे परिवार के साथ रहेंगे। अगर लड़के का परिवार संयुक्त है तो क्या लड़की के माता-पिता वहां कपल से मिलने आ सकते हैं? अगर दोनों में से किसी एक के माता-पिता को विशेष मदद या देखरेख की ज़रूरत आन पड़ी तो क्या वे आपके साथ आ सकते हैं? एक-दूसरे से बात करें और इनके समाधान निकालें ताकि बाद में आप दोनों के बीच बहस न हो।     बच्चे- क्या आप दोनों बच्चे चाहते हैं या फिर बिना बच्चों के रहना चाहते हैं? क्या आप दोनों में से कोई बच्चा गोद लेना चाहते हैं? क्या आप इन मुद्दों पर अपने पार्टनर की बात को महत्व देते हैं या उनसे सहमत हैं? अगर आप बच्चे चाहते हैं, पहले बच्चे के कितने समय बाद आप दूसरे बच्चे के बारे में सोचेंगे? या कितने बच्चे पैदा करेंगे? आप बच्चे को किस तरह का माहौल देना चाहेंगे, बच्चे को खुले माहौल में पालन-पोषण होगा या अनुशासनभरे माहौल में? आप दोनों को हर बात पर सहमत होना होगा।     करियर- अगर आप दोनों अपने करियर के प्रति बहुत संजीदा हैं, तो यह आप दोनों के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा होगा और इसका असर आपकी शादी पर भी पड़ सकता है। आप दोनों में से किसी एक को किसी व्यक्तिगत वजह से अपने करियर से ब्रेक लेना पड़ा तो? बलिदान करनेवाला कौन होगा? किस हद तक समझौता किया जा सकता है? अगर किसी एक को विदेश या किसी दूसरे शहर में नौकरी के लिए जाना पड़ा तो क्या दूसरा उसके साथ जाएगा या नहीं? बच्चों के बाद दोनों ज़िम्मेदारियों को कैसे बांटेगे, विशेषकर अगर दोनों नौकरी कर रहे हैं तो बच्चा, घर और अपना काम सम्भालने में कैसे दोनों एक-दूसरे की मदद करेंगे? अगर आप दोनों के विचारों में बहुत मतभेद है तो आपको शादी से पहले सारी बातें तय कर लेनी चाहिए।     आर्थिक मामले- एक-दूसरे की तनख्वाह के बारे में पूछने का यह बिल्कुल मतलब नहीं कि आप लालची हैं। अपनी सैलरी, सेविंग्स, लोन, खर्चों और ज़िम्मेदारियों के बारे में बात करें और साथ ही इस बारे में भी चर्चा ज़रूर करें कि शादी के बाद आप यह सब कैसे सम्भालेंगे। क्या आप शादी का खर्च आधा-आधा उठाना चाहते हैं? या फिर एक घरखर्च का ध्यान रखेगा और दूसरे की सैलरी भविष्य के लिए जमा की जाएगी।     आस्था- आप दोनों में से कोई एक धार्मिक प्रवृति का हो सकता है तो दूसरा नहीं। आप में से कोई एक पूरी तरह आज़ाद रहना पसंद कर सकता है तो दूसरा हर छोटी-बड़ी बात एक-दूसरे को बताना ज़रूरी समझ सकता है। वैसे जहां आप इन बातों का पता डेटिंग या शादी से पहले वाले साथ बिताए समय में ही लगा सकते हैं, तो वहीं यह बहुत ज़रूरी हो जाता है कि आप एक-दूसरे की आस्था को सम्मान देने और उसके विचारों का ख्याल रखने के लिए क्या प्रयास करते हैं। आपको बदलने की ज़रूरत नहीं है बस इस बात का ध्यान रखना है कि किस तरह दूसरे को परेशान किए बगैर या उसे ठेस पहुंचाए बिना आप अपनी आस्था का कितना प्रदर्शन कर सकते हैं।     मेलजोल- दोस्त चाहे लड़का हो या लड़की, क्या फर्क पड़ता है। यह वाक्य सुनने में भले ही आम लगता है लेकिन शादी के बाद यह आम नहीं रहता। हो सकता है आपमें से एक बहिर्मुखी हो और दूसरा पूरी तरह अंतर्मुखी। ऐसी स्थिति में बहुत सी बातों का ध्यान रखना होगा। इसलिए एक-दूसरे से इस बारे में बात करें कि वह आपके दोस्तों को लेकर कितना सहज है? या फिर हर वीकेंड आप दोनों कैसे बिताएंगे? अगर आपका पार्टनर अपने दोस्तों के साथ मिलने-जुलने कहीं जाता है तो क्या आप खुद को अकेला महसूस करेंगे या आपको ऐसा लगेगा कि आपके पार्टनर को आपकी फिक्र नहीं है?     पर्सनल स्पेस- रिश्तों में हर किसी को आज़ादी और पर्सनल स्पेस की ज़रूरत होती है और अगर आप दोनों को पूरी उम्र साथ रहना है है तो आप दोनों को एक-दूसरे की पर्सनल स्पेस की ज़रूरत समझनी होगी। आपको अपने लिए, अपने परिवार-दोस्तों के लिए कितना समय चाहिए? वो कौन-सी चीजें हैं जो आप दोनों अकेले करना पसंद करेंगे? क्या आप अपने हर फैसले में अपने पार्टनर को शामिल करना पसंद करेंगे? क्या हर साल आप अपने साथी के बिना अपनी सहेलियों और रिश्तेदारों से मिलने जाना पसंद करेंगे? इन सब बातों पर भी ज़रूर चर्चा करनी चाहिए।     सेहत- वैसे डेटिंग के दौरान कौन बताता है कि उसके ताऊ को डायबिटीज़ हुआ था या चाची को नज़ला? और अगर शादी घरवाले और रिश्तेदारों की पसंद से हो रही हो तो शादी टूटने के डर से बीमारियों से जुड़ी बातें तो ज़रूर छुपायी जाती हैं। इसलिए अगर किसी को पता चलता है कि उसके पार्टनर को कोई बीमारी है तो पार्टनर को भला-बुरा कहने की बजाय इस मुश्किल घड़ी के लिए खुद को तैयार कीजिए। एक समझदार साथी आपको किसी बीमारी की वजह से नहीं छोड़ेगा। लेकिन अगर वह ऐसा करता है तो बेहतर है कि आप ऐसे रिश्ते को शुरु ही न करें। क्योंकि जब हम किसी बीमारी से लड़ रहे हों तो हम अपने साथी से साथ देने की उम्मीद करते हैं, और उसका साथ न मिले तो कहीं अधिक तकलीफ होती है।  Read this in English अनुवादक -Sadhna Tiwari चित्र स्रोत- Shutterstock     

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