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फीमेल कंडोम से जुड़ी ये 4 दिलचस्प बातें आपको कर देंगी हैरान

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Read this in English. अनुवादक – Usman Khan भारत में फीमेल कंडोम को लॉन्च हुए लगभग एक दशक हो गया है। लेकिन इसे अभी तक वो लोकप्रियता हासिल नहीं हो पाई है, जो होनी चाहिए थी। दरअसल इसके पीछे इसके इस्तेमाल और फायदों का सही तरह से प्रचार नहीं करना भी एक कारण हो सकता है। खैर कंडोम महिलाओं को अनचाहे गर्भधारण और यौन संचारित रोगों (एसटीडी) से बचाने में सहायक है। पढ़ें- जानिये कैसे होंगे भविष्य में मिलने वाले कंडोम फीमेल कंडोम कैसे काम करता है ये एक बैग की तरह पाउच होता है, जिसे योनि के भीतर लगाया जाता है, जो एक बैरियर की तरह काम करता है। इसके दोनों सिरों पर रिंग लगे होते हैं। फीमेल कंडोम से जुड़े चार ऐसे महत्वपूर्ण तथ्य हैं, जिन्हें सभी महिलाओं को जानना बहुत ज़रूरी है। 1) भारत में लॉन्च हुआ पहला फीमेल कंडोम भारत में 7 अप्रैल, 2006 में पहला फीमेल कंडोम निर्मित किया गया था। इसे आधिकारिक तौर पर सरकार ने लॉन्च किया था। इसे 'वेलवेट' ब्रांड के ज़रिये बेचा जा रहा है। इस पैकेट में 3 कंडोम होते हैं, जिसकी कीमत 150 रुपए है। इसे सरकारी कंपनी एचएलएल बनाती है। 2) एचआईवी संक्रमण के खतरे को 94-97 फ़ीसदी कम कर सकता है कई अध्ययनों के अनुसार मेल कंडोम एचआईवी के खतरे को 80-95 फ़ीसदी जबकि फीमेल कंडोम 94-97 फ़ीसदी तक कम करता है। इसका मतलब ये हुआ कि अगर महिलाओं को इसके इस्तेमाल का सही तरीका बताया जाए, तो काफी हद तक यौन संचारित रोगों से बचा जा सकता है। 3) यूएस एफडीए द्वारा केवल 2 तरह के फीमेल कंडोम को मिली है मान्यता अमेरिका में एफडीए द्वारा केवल दो तरह के फीमेल कंडोम को मान्यता मिली हुई है। इन्हें फीमेल हेल्थ कारपोरेशन नामक कंपनी बनाती है। इसमें से एक कंडोम एफसी2 को साल 2009 में मान्यता मिली थी। ये एक सोफ्टर मटेरियल से बना होता है। हालांकि यूएस में कई कंपनी फीमेल कंडोम बनाती हैं लेकिन इन्हें अभी एफडीए से मान्यता नहीं मिली है। 4) फीमेल कंडोम के हैं विभिन्न प्रकार दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में विभिन्न प्रकार के फीमेल कंडोम उपलब्ध हैं। उदहारण के लिए 'दी क्यूपिड' कंडोम भारत में भी उपलब्ध होता है। ये वेनिला सुगंधित महिला कंडोम सफेद और गुलाबी कलर में आता है। इसके अलावा इंडियाना यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक कंडोम का विकास किया जिसे 'इलिप्टिकल' कंडोम कहते हैं, ये योनि के आकार का होता है। इसलिए इसका इस्तेमाल आसान है। इसके अलावा 2012 में भी शोधकर्ताओं ने एचआईवी के खिलाफ एक कंडोम विकसित करने की कोशिश की। चित्र स्रोत - Shutterstock संदर्भ- Choi K-H, Gregorich SE. Social Network Influences on Male and Female Condom Use among Women Attending Family Planning Clinics in the U.S.Sexually transmitted diseases. 2009;36(12):757-762. doi:10.1097/OLQ.0b013e3181afefc1.
 

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