Read this in English
अनुवादक -Sadhna Tiwari
जब बात आती है फर्टिलिटी और गर्भधारण की तो कई प्रकार की बातों और मिथकों का ज़िक्र किया जाता है । इन मिथकों पर लोग कई दशकों से भरोसा करते आ रहे हैं और यही वजह है कि कई बार यंग कपल्स भी ज़रूरत होने पर भी डॉक्टर से कंसल्टेशन से कतराते हैं। मदर्स लैप आईवीएफ सेंटर, नयी दिल्ली की मेडिकल डायरेक्टर और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. शोभा गुप्ता बता रही है फर्टिलिटी और गर्भधारण से जुड़े कुछ ऐसे ही मिथकों के बारे में। ।
पहला मिथक - पुरुषों की फर्टिलिटी महिलाओं की तरह सीमित नहीं है। एक पुरुष 80 साल की उम्र तक स्पर्म्स पैदा कर सकता है। इसीलिए इलाज़ की ज़रूरत महिलाओं को होती है, पुरुषों को नहीं।
हालांकि ये सच है कि पुरुष 80 की उम्र तक स्पर्म की उत्पत्ति कर सकते हैं लेकिन ज़रूरी नहीं कि हर पुरुष का स्पर्म गर्भधारण के लिहाज से हेल्दी हो। उम्र, जीवनशैली, सिगरेट या शराब जैसी आदतें ऐसे कारक हैं जो पुरुष की फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकते हैं। दरअसल , कई बार देखे गया है कि दूसरे या तीसरे बच्चे के लिए कोशिश कर रहे पुरुषों को फर्टिलिटी की समस्या झेलनी पड़ती है। oligospermia या सीमेन में स्पर्म की कम संख्या या azoospermia यानि सीमेन में जीवनक्षम स्पर्म की अनुपस्थिति जैसी समस्याएं सबसे अधिक देखी जाती हैं। वाई -फाई , इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का अत्यधिक प्रयोग, जंक फ़ूड या बाहर के खाने की आदत के चलते भी पुरुषों को इनफर्टिलिटी की समस्या का सामना करना पड़ता सकता है। पढ़ें- मेल फर्टिलिटी और स्पर्म के बारे में 6 अद्भुत दिलचस्प बातें
दूसरा मिथक-अगर महिला का मासिक चक्र नियमित हो तो बड़ी उम्र में प्रेगनेंसी आसान होती है।
जब तक महिला का मासिक चक्र चलता है तब तक वह फर्टाइल है और गर्भधारण में सक्षम भी। लेकिन एग की सेहत और महिला की उम्र का पीरियड्स से कुछ लेना देना नहीं है। 25 वर्ष की आयु के बाद महिला के एग की क्वालिटी में गिरावट आने लगती है और इसीलिए 30 वर्ष के बाद जब कोई गर्भधारण करता है तो फीटस में गुणसूत्र-संबंधी अनियमितताओं का खतरा अधिक बढ़ जाता है। इसीलिए आप जितनी जल्दी गर्भधारण कर सकतीं हैं उतना बेहतर होगा। 40 की उम्र तक आपके पीरियडस चलते रहेंगे लेकिन इसका मतलब ये कतई नहीं कि उस उम्र में भी आपके एग स्वस्थ होंगे जो आपके लिए गर्भधारण की प्रक्रिया को आसान बनाएंगे।
तीसरा मिथक: गर्भधारण से पहले स्मोकिंग( सिगरेट पीना) से कोई नुकसान नहीं होता लेकिन गर्भधारण के बाद स्मोकिंग छोड़ देनी चाहिए।
आपके बच्चे के लिए गर्भ में एक सुरक्षित माहौल बनना बहुत महत्वपूर्ण है। बच्चे की प्लानिंग शुरू करते ही सिगरेट पीना छोड़ दें। कम से कम छह महीने पहले स्मोकिंग ज़रूर छोड़ दें। केवल महिलाएं ही नहीं , पुरुषों को भी ऐसा करना चाहिए। क्योंकि स्मोकिंग से आपका स्पर्म काउंट घट जाता है और उनकी सेहत में भी गिरावट आती है।
चौथा मिथक: ओव्यलैशन( स्त्रीबीजजनन) के 24 घंटो के अंदर सेक्स से गर्भधारण की सम्भावनाएं बढ़ जाती हैं।
सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि आपके लिए ओव्यलैशन( स्त्रीबीजजनन) की समय गणना करना पेचीदा हो सकता है, जो पीरियडस से तक़रीबन 7 से 10 दिनों पहले होता है। लेकिन अगर आप इसका अंदाज़ा लगा लेते हैं तो 24 घंटे पूरे होने का इंतज़ार न करें। एग का जीवन 24 घंटो का जबकि स्पर्म का 72 घंटों का होता है। इसीलिए ओव्यलैशन के बाद जितनी जल्दी सेक्स हो उतना अच्छा। सलाह तो ये दी जाती है कि सेक्स ओव्यलैशन के दौरान या एक दिन पहले किया जाए ताकि गर्भधारण की सम्भावनाएं बढ़ जाएं। अंडाशय से एग के रीलिज होने और डिम्बवाही नली में जाने से पहले उसका स्पर्म के साथ मिलन होना चाहिए। पढ़ें-आपके स्पर्म का काउंट कम होने के पीछे होते हैं ये 17 कारण
पांचवा मिथक: हर रात सेक्स करने से आईवीएफ ट्रीटमेंट्स कराये बिना भी गर्भधारण किया जा सकता है।
अगर यह सच होता तो निसंतान कपल्स अब तक दर्जनभर बच्चे पैदा कर चुके होते। महिला और पुरुष के अलग-अलग कारण हो सकते हैं जिनकी वजह से गर्भधारण में समस्या आती है। महिलाओं को जहां PCOS, मोटापा या डिम्बवाही नली में अवरोध जैसी समस्याएं हो सकती हैं तो वहीँ पुरुष को oligospermia या azoospermia की शिकायत हो सकती है। जो इन दोनों को गर्भधारण में विफल करता है। इसीलिए सबसे बेहतर उपाय यही है कि यदि सालभर से अधिक समय तक गर्भधारण की कोशिश में कामयाबी नहीं मिलती तो दोनों पार्टनर्स को फर्टिलिटी एक्सपर्ट से जांच करानी चाहिए।
छठा मिथक: मोटे होने से गर्भधारण में कोई समस्या नहीं आती , विशेषकर अधिक वजन वाली महिलाएं कभी भी गर्भधारण कर सकतीं हैं।
अकेले मोटापा गर्भधारण में समस्या पैदा नहीं करता। पार्टनर की फर्टिलिटी, एग का स्वास्थ्य ये सभी एक महिला की प्रजनन क्षमता को प्रभावित करते हैं। हालांकि मोटापा PCOS, अनओव्यलैशन, हार्मोन्स का असंतुलन जैसी समस्यायों का कारण बन सकता है जो गर्भधारण के कार्य को जटिल बनाते हैं।
सातवां मिथक -सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीजेज या STD आपकी गर्भधारण की क्षमता को किसी तरह प्रभावित नहीं करते।
अगर आप किसी भी प्रकार के STD से पीड़ित हैं और आपको उसकी जानकारी है तो सावधान हो जाइये। बेहतर होगा कि प्रेगनेंसी की अपनी योजना को कुछ समय के लिए रोक दें। इलाज पूरा हो जाने के बाद ,अपने डॉक्टर से बात करें और पता लगाएं कि क्या अब आप गर्भधारण या सेक्स के लिए तैयार हैं ? महिला या पुरुष में किसी भी प्रकार का STD प्रजनन अंगो में ज़ख्म या अवरोध उत्पन्न कर सकता है जो इनफर्टिलिटी का कारण बन सकता है।
आठवां मिथक : हमारे भोजन का हमारी प्रजनन क्षमता से कुछ लेना-देना नहीं।
हालांकि कई औषधियां और खाद्य पदार्थ ऐसे हैं जो फर्टिलिटी बढ़ाने का काम करते हैं। वहीँ बहुत सी ऐसी चीज़ें भी हैं जिन्हें खाने-पीने से इस प्रक्रिया को नुकसान पहुँच सकता है। जैसे कि आपकी कॉफ़ी और कोला में मौजूद कैफीन। इसीलिए बच्चे की तैयारी करते समय आप संभलकर खाएं पीएं।
नौवां मिथक : अगर तनाव की वजह से आपकी फर्टिलिटी प्रभावित हो रही है तो फर्टिलिटी ट्रीटमेंट के बजाय केवल योगा और व्यायाम से ये समस्या ठीक हो जाएगी।
ये बात सच है कि स्वस्थ मन और स्वस्थ शरीर आपके गर्भधारण की संभावनाओं को बढ़ा सकता है। लेकिन अगर तनाव आपके जीवन में लगातार बना रहेगा और अगर उम्र भी ज़्यादा हो चुकी होगी तो आपकी जीवनशैली में केवल बदलाव लाने से कुछ न होगा। इन सबके साथ डॉक्टर से सलाह मशविरा करें और अपना फर्टिलिटी स्टेटस जांचे।
चित्र स्रोत: Shutterstock
↧